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Ultrasound करवाने से पहले और बाद में इन 4 बातों का जरूर रखें ध्यान: Expert
अल्ट्रासाउंड एक ऐसी उन्नत तकनीक है जिसमें उच्च आवृति ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके शरीर के अंदर की तस्वीरें निकाली जाती हैं।
अल्ट्रासाउंड टेस्ट खाली पेट क्यों करवाया जाता है? क्या खाली पेट अल्ट्रासाउंड करवाना सही है? क्या अल्ट्रासाउंड से पहले और बाद में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना पड़ता है? ऐसे कई सवाल होते हैं जो अल्ट्रासाउंड को लेकर आप और हमारे मन में होते हैं।
अगर ऐसे ही सवाल आपके मन में भी हैं तो आपके इन सवालों के जवाब यहां इस लेख में हैं। अल्ट्रासाउंड एक ऐसी उन्नत तकनीक है जिसमें उच्च आवृति ध्वनि तरंगों का इस्तेमाल करके शरीर के अंदर की तस्वीरें निकाली जाती हैं।
दिल, किडनी, लिवर के रोगों का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है तो वहीं गर्भवती महिलाओं को भी भ्रूण के हो रहे विकास के बारे में जानने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाने की जरूरत पड़ती है।
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तो अल्ट्रासाउंड से पहले और बाद में किन बातों का ध्यान रखें, इस बारे में हमें जानकारी दी कानपुर में सिंघवी फोरडी अल्ट्रासाउंड के रेडियोलॉजिस्ट डॉ, संजय सिंघवी ने।
अल्ट्रासाउंड से पहले और बाद में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, यह जानने से पहले हम जान लेते हैं कि अल्ट्रासाउंड क्या है, कैसे किया जाता है और क्यों किया जाता है।
PNDT MTP Ultrasound HospitalPicture: Pixabay
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अल्ट्रासाउंड क्या है? (What is ultrasound)
अल्ट्रासाउंड में हाई फ्रेक्वेंसी वेब का इस्तेमाल शरीर के अंदर के अंगों, वेसल और ऊतकों से संबंधित परेशानियां तस्वीर के रूप में सामने आ जाती हैं। यह बहुत ही उन्नत तकनीक है जिसमें बिना किसी दर्द के मरीज की मर्ज पता चल जाती है।
इसमें ध्वनि तरंगों की मदद से साउंड पैदा किया जाता है और शरीर के अंदर की समस्याओं को स्कैन किया जाता है। इसे सोनोग्राफी भी कहते हैं। बाहरी, आंतरिक और एंडोस्कोपिक तीन तरह का अल्ट्रासाउंड होता है।
अल्ट्रासाउंड की जरूरत क्यों (Importance of ultrasound)
अल्ट्रासाउंड की जरूरत निम्न वजहों से पड़ती है-
गर्भवती महिलाओं को भ्रूण के विकास के बारे में जानकारी के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। तो वहीं, शिशु में सभी अंगों का विकास सही या नहीं है, ऐसी परेशानियों को जानने के लिए अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है।
शरीर के कोमल ऊतकों में लगी चोट को ढूंढ़ने के लिए भी अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। कोमल ऊतकों में चोट का मतलब है कि शरीर की मांसपेशियों में चोट होना है। इसमें आमतौर पर दबाव, नील, मोच जैसे परिणाम दिखाई देते हैं। इन ऊतकों में चोट से शरीर में दर्द, नील, सूजन और काम न करने मन करता है।
किडनी, मूत्राशय, पित्ताशाय, अंडकोष जैसी समस्याओं का परीक्षण करने के लिए भी अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है। इसमें उन सभी स्थितियों का परीक्षण किया जाता जो शरीर को प्रभावित करते हैं।
जब किसी मरीज में नसें ढूंढ़ने में डॉक्टरों को परेशानी होती है, तब अल्ट्रासाउंड का प्रयोग किया जाता है। गंभीर बीमारियों में मरीज के इलाज के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाता है।
दिल में खून की मात्रा को आंकने के लिए अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे हृदय संबंधी सभी जानकारी लेने की कोशिश की जाती है।
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अल्ट्रासाउंड से पहले इन बातों का रखें ख्याल (Keep these things in mind before ultrasound)
रेडियोलोजिस्ट डॉ. संजय सिंघवी का कहना है कि अल्ट्रासाउंड एक आसान पद्धति है। इसे कराने से मरीज को किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। बस मरीज को अल्ट्रासाउंड कराने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना चाहिए। डॉक्टर के मुताबिक निम्न बातों का ध्यान अल्ट्रासाउंड से पहले रखें।
1. खाली पेट अल्ट्रासाउंड कराएं
डॉक्टर सिंघवी का कहना है कि खाली पेट अल्ट्रासाउंड कराने से रिपोर्ट सही आती है। हां, ये बात अलग है कि अगर आप इमरजेंसी में अल्ट्रासाउंड कराने आ रहे हैं तो कैसे भी कर दिया जाता है, लेकिन कोशिश यही की जाती है कि मरीज को खाली पेट अल्ट्रासाउंड के लिए बुलाया जाए। तो वहीं, किडनी, आंत, पेट या गर्भाशय का अल्ट्रासाउंड के लिए मरीज को खाली पेट बुलाया जाता है।
2. क्यों किया जाता है खाली पेट अल्ट्रासाउंड
डॉक्टर सिंघवी ने बताया कि वैसे तो अगर कोई पेट का अल्ट्रासाउंड करा रहा है तो उसे कहा जाता है कि वह खाली पेट अल्ट्रासाउंड कराए। इसके पीछे की वजह यह होती है कि खाना खाने के बाद पित्ताशय की थैली (gallbladder) सिकुड़ जाती है। ऐसे में पित्ताशय के रोगों की स्कैनिंग ठीक से नहीं हो पाती। इसलिए अल्ट्रासाउंड में खाली पेट बुलाया जाता है।
3. पानी पिएं
अगर आपको कल अल्ट्रासाउंड के लिए जाना है और आप एक दिन पहले ही डॉक्टर से मिल लिए हैं तो डॉक्टर पहले ही आपको कह देते हैं कि खाली पेट आइएगा और पानी पी सकते हैं। बिल्कुल खाली पेट रहेंगे को एसिडिटी की दिक्कत हो सकती है।
एसिडिटी की दिक्कत होने पर अल्ट्रासाउंड न कराएं। तो ऐसी दिक्कतें आपको न हों तो थोड़ा-थोड़ा पानी पी सकते हैं। जब आपकी बारी आने वाली हो तब खूब पानी पी लें। विशेषज्ञों का मानना है कि पेट में पानी की मात्रा जितनी अच्छी होगी अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट उतनी अच्छी आएगी। पेट से संबंधित रोगों के लिए पानी पीना जरूरी है।
4. आरामदायक कपड़े पहनें
जब आप अल्ट्रासाउंड के लिए जा रहे हैं तो ध्यान रहे कि आपके कपड़े ढीले हों। क्योंकि जिस जगह का अल्ट्रासाउंड होगा वहां के कपड़े हटाएं जाएंगे, इसलिए आप अपनी तैयारी पहले ही कर लें।
अल्ट्रासाउंड के बाद इन बातों का रखें ख्याल (Take care of these things after ultrasound)
अल्ट्रासाउंड होने के बाद किसी तरह का साइड इफेक्ट नहीं दिखता। शरीर पर कोई गर्माहट महसूस नहीं होती। अल्ट्रासाउंड होने के बाद मरीज आराम से घर जा सकता है। जिन लोगों का एंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड किया जाता है उन्हें कुछ दवाएं दी जाती हैं। जिससे उन्हें अस्पताल में रुकने के लिए कहा जाता है। दवा खाने के बाद मरीज को 24 घंटे तक शराब न पीने की सलाह दी जाती है।
पेट के रोगों के अलावा छाती के रोगों की जानकारी लेने के लिए भी अल्ट्रासाउंड की जरूरत पड़ती है। रेडियोलॉजी का आविष्कार मनुष्य के लिए किसी क्रांति से कम नहीं है। आज अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीक के कारण ही आसानी से बड़ी से बड़ी परेशानी का पता चल जाता है। यह एक्स-रे से उन्नत तकनीक है।
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