बच्चेदानी का नस फटने से क्या होता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:23


बच्चेदानी फटी, सुरक्षित जन्मी नन्हीं परी

शाहजहांपुर : यूं ही चिकित्सकों को भगवान नहीं कहा जाता है। इस बात को गरीब लौंगश्री से ज्यादा कोई दूसरा नहीं समझ सकता। असल में डेढ़ दशक बाद गर्भ धारण करने वाली लौंगश्री की बच्चेदानी अचानक फट गई, जो चिकित्सा विज्ञान में अजीबो-गरीब घटना है। यह घटना सातवें महीने में हुई जब भ्रूण बच्चे का शक्ल अख्तियार कर बाहरी दुनिया में आने की तैयारी शुरू करता है। लेकिन डॉक्टर की तत्पर्ता से जच्चा-बच्चा दोनों सलामत हैं।

ब्ली¨डग की शिकायत पर भर्ती हुई थी महिला

निगोही निवासिनी लौंगश्री को 14 दिसंबर को ब्ली¨डग हुई। वह परिवार की एक महिला के साथ डॉ. शुभा दीक्षित को दिखाने पहुंची। डॉ. ने मरीज से जानकारी की तो सात माह का बच्चा पेट में होने की बात जानकारी मिली। जांच में बच्चेदानी फटने की जानकारी हुई।

बच्चेदारी फटना क्या है

गर्भ ठरहने से लेकर बच्चा जनने तक शिशु के अंदर की दुनिया मां के पेट में बच्चेदानी होती है। बच्चेदानी फटने पर गर्भ में पल रहे शिशु व उसकी मां के जीवन संकट में पड़ जाता है। असल में शिशु अपने मूल स्थान से हटकर जीवित रहने को मिलने वाली एनर्जी से दूर हो जाता है, वहीं गर्भवती के पेट में खून भर जाता है। इन परिस्थिति में गर्भस्थ शिशु उसकी मां की जान 99 फीसद खतरे में पड़ जाती है।

यूं निभायी भगवान की भूमिका

गरीब लौंगश्री अस्पताल पहुंची तो उसके पास महज पांच सौ रुपये थे। जबकि उसकी हालात जीवन एवं मौत के बीच फंसी थी। अर्थ युग में डॉक्टर दो ही स्थिति में जोखिम उठाता है। एक तो गर्भवती उसके विश्वास में हो तथा उससे शुरू से ही इलाज कराती चली आ रही है। रुपये खर्च करने में परिजन किसी तरह पीछे न हों, क्यों कि एक भी घटना में अपयश हाथ लगने से डॉ. की साख खराब होती है, लेकिन इन बातों को भूल डॉक्टर शुभा ने गर्भस्थ शिशु उसकी मां को बचाने को वरीयता दी।

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