डाबर जन्म घुट्टी बच्चों को कब देना चाहिए?pregnancytips.in

Posted on Mon 17th Oct 2022 : 15:19

आपने भी अपनी मां या दादी मां से सुना होगा कि शिशु को जन्‍म घुट्टी पिलानी चाहिए। इस प्राचीन प्रथा को लेकर अब लोगों के मन में सवाल खड़े होने लगे हैं कि क्‍या वाकई में शिशु को जन्‍म घुट्टी पिलाना सही है?

क्‍या सच में शिशु को जन्‍म घुट्टी पिलाना सही है, जानिए विज्ञान और आयुर्वेद की राय
शिशु को जन्‍म घुट्टी देने के लिए डॉक्‍टर मना करते हैं। हालांकि, बड़े-बूढ़े इसे देने की सलाह देते हैं ऐसे में पैरेंट्स इस उलझन में रहते हैं कि वो अपने बच्‍चे को जन्‍म घुट्टी दें या नहीं। तो चलिए जानते हैं कि नवजात शिशु को जन्‍म घुट्टी दे सकते हैं या नहीं।

​जन्‍म घुट्टी में क्‍या होता है

शिशु को दी जाने वाली जन्‍म घुट्टी में अश्‍वगंधा, अतिविष, मुरुडशेंग, बाल हिरडा, जायफल, हल्‍दी की जड़, सौंठ, खारीक, बादाम, जेष्‍ठमध, डिकेमाली, वेखंड और काकड शिंगी से घुट्टी बनाई जाती है।
​जन्म घुट्टी से क्या होता है

जन्‍म घुट्टी को बाल घुट्टी भी कहते हैं और ये एक पारंपरिक भारतीय आयुर्वेदिक काढ़ा है जिसे मां के दूध या पानी में दवा मिलाकर तैयार किया जाता है। जन्‍म घुट्टी में जड़ी-बूटियों का प्रयोग किया जाता है जिनमें औषधीय गुण पाए जाते हैं। कुछ पैरेंट्सबच्‍चे के जन्‍म के पहले दिन से ही घुट्टी पिलाना शुरू कर देते हैं।

माना जाता है कि इससे इम्‍यूनिटी बढ़ती है और दांत आने, दस्‍त, कब्‍ज और कोलिक पेन जैसी समस्‍याओं से राहत मिलती है।
​जन्म घुट्टी रेसिपी

सभी जड़ी-बूटियों को साफ पानी से अच्‍छी तरह से धो लें। 20 से 30 मिली ब्रेस्‍ट मिल्‍क लें। आप चाहें तो फॉर्मूला मिल्‍क भी ले सकती हैं।

स्‍लेट पर एक बूंद दूध डालें और फिर एक-एक करके सभी जड़ी बूटियों को इस पर दो से तीन बार घिसें।

एक जड़ी बूटी को घिसने के बाद उसके पेस्‍ट को उंगली से उठाकर चम्‍मच में लें। जब सारी जड़ी बूटियों को घिस लें तो उस पेस्‍ट को ब्रेस्‍ट मिल्‍क या पानी में मिलाकर शिशु को दें।

​जन्म घुट्टी कब पिलाना चाहिए

अगर आपके बच्‍चे में कोलिक के संकेत दिख रहे हैं और वो लगातार रोता रहता है तो उसे चुप करवाने के लिए घुट्टी पिला सकते हैं।

दांत आने पर मसूड़ों में सूजन और दर्द या वैक्‍सीन लगने पर दर्द को कम करने के लिए भी जन्‍म घुट्टी दे सकते हैं। इसके अलावा जन्‍म घुट्टी पेट फूलने और पाचन में सुधार करने में भी मदद करती है।


​क्‍या है डब्‍ल्‍यूएचओ की राय

विश्व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (WHO) की मानें तो नवजात शिशु को छह महीने का होने तक मां के दूध या फॉर्मूला मिल्‍क के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए। डॉक्‍टर भी नवजात शिशु को घुट्टी पिलाने से मना करते हैं। बाजार में मिलने वाली घुट्टी में भी प्रिजर्वेटिव्‍स होते हैं जो कि शिशु के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं।

इस आयुर्वेदिक औषधि को लेकर विज्ञान और आयुर्वेद के बीच एकमत नहीं है। फिलहाल विज्ञान की मानें तो एक साल से कम उम्र के बच्‍चे को कच्‍चा शहद नहीं देना चाहिए। इसकी वजह से शिशु में बोटुलिस्‍म हो सकता है जो कि एक घातक लेकिन दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी एक साल से कम उम्र के बच्‍चों को शहद के कारण होती है।

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