छोटे बच्चे को पॉटी कैसे करें?pregnancytips.in

Posted on Sat 22nd Oct 2022 : 10:48

बच्‍चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, मां-बाप की जिम्‍मेदारियां भी बढ़ती चली जाती हैं। बढ़ते बच्‍चों कोई बातें सिखानी पड़ती हैं जैसे भूख लगने पर कैसे बताना है, सू-सू या पॉटी आने पर कैसे बताना है आदि।


बच्‍चों के लिए पॉटी ट्रेनिंग बहुत जरूरी होती है और यहां हम आपको कुछ ऐसे टिप्‍स दे रहे हैं जिनकी मदद से आप आसानी से अपने बच्‍चे को पॉटी ट्रेनिंग दे सकते हैं।


पॉटी ट्रेनिंग कब देनी चाहिए
इस प्रक्रिया का पहला कदम है अपने बच्‍चे के तैयार होने के संकेतों को समझना। अगर बच्‍चा इस चीज के लिए तैयार न हो तो आप ट्रेनिंग के दौरान हताश हो सकते हैं। विशेषज्ञों की मानें तो 18 महीने से 3 साल की उम्र के बच्‍चे को पॉटी ट्रेनिंग देनी चाहिए। वहीं, इस प्रक्रिया के लिए बच्‍चे की औसत उम्र 27 महीने है।


कब तैयार होता है बच्‍चा
अगर आपका बच्‍चा टॉयलेट सीट पर बैठ रहा है और उसने चलना शुरू कर दिया है, वो खुद से अपनी पैंट काे उतार और उसे वापस पहन पा रहा हो, लगभग 2 घंटे तक वो सू-सू न करता हो, उसे आपके निर्देश समझ आते हों, पॉटी आने पर वो आपको संकेतों या बोलकर बता सकता है तो इसका मतलब है कि आपका बच्‍चा पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार है।

लड़के देरी से सीखते हैं
ऐसा माना जाता है कि लड़कियों की तुलना में लड़के देरी से पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार हो पाते हैं। मान लीजिए कि 22 महीने की उम्र की लड़कियां रात को पॉटी नहीं जाती हैं तो यही आदत लड़कों में 25 महीने की उम्र तक आती है।
इसी तरह लड़कियां अंडरवियर खुद पहनना और उतारना औसत 29.5 महीने की उम्र में सीख लेती हैं जबकि लड़कों में ये स्किल 33.5 महीने की उम्र तक आता है।


बच्‍चों को संतुलित आहार देना बहुत जरूरी है। आहार में मौजूद कुछ पोषक तत्‍व जैसे कि विटामिन ए, विटामिन सी, विटामिन ई, ल्‍यूटिन, जिएंथिन और ओमेगा फैटी एसिड शरीर के साथ-साथ आंखों के लिए भी बहुत फायदेमंद होते हैं।

गाजर, चुकंदर, आम, पपीता, खट्टे फलों, आंवला, हरी पत्तेदार सब्जियों, बादाम, अखरोट, अंडे और मछली आदि में ये सभी पोषक तत्‍व पाए जाते हैं।


पॉटी ट्रेनिंग के स्‍टेप्‍स
अगर आप अपने बच्‍चे को पॉटी ट्रेनिंग देना शुरू करना चाह रही हैं तो नीचे बताए गए स्‍टेप्‍स फॉलाे करें :

बच्‍चे को रोज एक ही समय पर पॉटी करने की आदत डालें। हर एक घंटे में 10 मिनट के लिए उसे टॉयलेट सीट पर बैठाएं। इस दौरान कहानी सुनाकर या किसी खिलौने से उसका मन बहलाएं।
बच्‍चे के लिए यह सीखने की प्रक्रिया है, इसलिए अगर वो डायपर या कपड़े गंदे या गीले कर देता है तो उस पर गुस्‍सा न करें।
बच्‍चे बहुत आसानी से बोर हो जाते हैं इसलिए इस प्रक्रिया को आपको उनके लिए दिलचस्‍प बनाना है। उसके लिए पॉटी सीट लेकर आए जो कंफर्टेबल हो।
अपने बच्‍चे को समझाएं कि पॉटी आने पर उसे किस तरह या क्‍या बोलकर बताना है।
बच्‍चों में कब्‍ज दूर करने के लिए उसके आहार में उच्‍च मात्रा में फाइबर को शामिल करें और खूब पानी पिलाएं। कब्‍ज होने से पॉटीट्रेनिंग में दिक्‍कतें आ सकती हैं।

इस तरह आप अपने बच्‍चे को पॉटी ट्रेनिंग के लिए तैयार कर सकते हैं। ये ट्रेनिंग आपके बच्‍चे के लिए बहुत जरूरी है। इससे उसमें अच्‍छी आदतें विकसित होंगी और दूसरों के आगे आपको शर्मिंदा नहीं होना पड़ेगा। सही समय पर ट्रेनिंग शुरू करने से आपको काफी मदद मिलेगी।

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