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पेशाब नहीं कर पा रहा है बेबी, क्या हो सकते हैं इसके कारण और अंजाम?
नए बच्चे का जन्म लेना मां और परिवार के सदस्यों के लिए बहुत सारे भावनात्मक परिवर्तन लेकर आता है। खासकर पहली बार माता-पिता बनने पर हर छोटी बात का ध्यान जानकारी की कमी होने की वजह से रख पाना संभव नही हो पाता।
ऐसे में बहुत बार बड़ी परेशानी को भी नजरअंदाज कर दिया जाता है। उन्हीं सब में से एक परेशान करने वाली बात होती है नवजात शिशु का पेशाब ना करना। जन्म के बाद 24 घंटे के अंदर बच्चे का पेशाब करना आवश्यक होता है। साथ ही पेशाब के रंग और उसकी मात्रा पर भी गौर करना चाहिए।
डिहाइड्रेशन
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की परिभाषा के अनुसार, डिहाइड्रेशन ऐसी परिस्थिति है जिसमें शरीर में पानी की कमी हो जाती है।
पर्याप्त मात्रा में दूध ना पीने की वजह से भी बच्चों को डिहाइड्रेशन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को पर्याप्त ब्रेस्टफीडिंग कराएं और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिला भरपूर पानी पिए।
नवजात बच्चों को समय पर पेशाब ना हो तो ये किसी गंभीर समस्या का कारण बन सकता है, इसलिए इसे बिल्कुल भी नजरंदाज ना करें। समय रहते चिकित्सक से आवश्यक सलाह जरूर लें।
एक्यूट रेनल फेलियर
किडनी खराब होने की स्थिति को मेडिकल भाषा में एक्यूट रेनल फेलियर कहा जाता है। किडनी खराब होने की स्थिति लगभग 8 प्रतिशत बच्चों में पाई जाती है, जिन्हें आईसीयू में भर्ती करके उचित देखभाल की आवश्यकता होती है।
बच्चों में एक्यूट रेनल फेलियर को उनके पेशाब करने के समय, मात्रा या बिल्कुल भी पेशाब ना करना (खासकर 24 घंटे के अंदर) के अनुसार पता लगाया जाता है।
पेशाब का रंग देखना होता है आवश्यक
बच्चे को पेशाब होने के बाद डायपर चेक कर लेना बहुत आवश्यक होता है, क्योंकि बच्चे के शरीर में किसी तरह की तकलीफ है या नहीं, ये भी पेशाब के रंग से पता लगाया जा सकता है।
जैसे बच्चे के पेशाब का रंग अगर पीला हो तो ये पीलिया होने का संकेत हो सकता है। हालांकि, जन्म के बाद बच्चों में पीलिया के थोड़े बहुत लक्षण होते हैं जो पेशाब के माध्यम से निकल आते हैं। लेकिन कुछ भी असामान्य लगे उसे नजरंदाज ना करें।
जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान है जरूरी
शिशु के जन्म के बाद 1 घंटे के अंदर मां का पहला गाढ़ा दूध उसे पिलाना बहुत ही आवश्यक होता है, क्योंकि इससे बच्चे को बहुत सारे रोगों से लड़ने में मदद मिलती है और उसका शरीर स्वस्थ होकर रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता है। साथ ही मां को भरपूर मात्रा में पानी पीना चाहिए, ताकि बच्चे को दूध के माध्यम से पर्याप्त पानी मिले और सही समय पर पेशाब करे।
नवजात शिशु जब मां के गर्भ से बाहर आते हैं, तब से लेकर एक साल तक उनका विशेष देखभाल करना आवश्यक होता है, नवजात शिशु में कोई भी बात असामान्य लगे तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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