कब संभोग करने से गर्भ नहीं ठहरता?pregnancytips.in

Posted on Tue 11th Oct 2022 : 14:58

गर्भवती नहीं होने के कारण? | Pregnant Na Hone Ke Karan

आम कारण

बहुत ज्यादा या बहुत कम संभोग : कई लोग ऐसा मानते हैं अधिक शारीरिक संबंध बनाने से गर्भधारण किया जा सकता है। वहीं, कुछ इसके लिए कम शारीरिक संबंध बनाने पर जोर देते हैं। उनका मानना होता है कि कम संभोग करने से वीर्य की गुणवत्ता बरकरार रहती है, जबकि वास्तव में ये दोनों ही स्थितियां महज एक भ्रम मात्र हैं। आइए, इन दोनों स्थितियों को थोड़ा बारीकी से समझते हैं।

अधिक शारीरिक संबंध- जानकारी के अभाव के चलते आज कई लोगों में गर्भधारण को लेकर बहुत प्रकार के भ्रम पनप गए हैं, जिनमें से एक है अधिक शारीरिक संबंध बनाना। आपको जानकार हैरानी होगी कि ऐसा करने से न केवल आप सामान्य के मुकाबले गर्भधारण के प्रयास में पिछड़ जाएंगे, बल्कि आपको कमजोरी, घुटनों में दर्द, पेशाब में जलन और चक्कर आना जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक अधिक संभोग करने से पुरुषों में वीर्य की मात्रा कम हो जाती है, जो गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है (1) (3)।

बहुत कम संभोग- कुछ कम शारीरिक संबंध बनाने पर जोर देते हैं। ऐसे लोग मुख्य रूप से ओव्युलेशन (महिला में अंडों की सक्रियता का समय) के दिनों में ही शारीरिक संबंध बनाने को वरीयता देते हैं, ताकि उन्हें गर्भधारण में शत-प्रतिशत सफलता हासिल हो, जबकि यह सोच भी गर्भधारण में बाधा पैदा कर सकती है। कारण यह है कि प्रत्येक महिला में ओव्युलेशन की प्रक्रिया अलग-अलग समय पर शुरू होती है, जिसका अनुमान मात्र लगाया जा सकता है (4)। ऐसे में यौन सक्रियता की कमी आपको गर्भधारण के सुख से दूर कर सकती है।

तनाव : विशेषज्ञों के मुताबिक तनाव गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है (5)। कारण यह है कि मानसिक दबाव आपकी शारीरिक गतिविधियों पर बुरा प्रभाव डालता है। इस कारण अगर महिला या पुरुष में से कोई एक भी तनाव की स्थिति में संभोग करता है, तो वह इस प्रक्रिया में प्राकृतिक रूप से शामिल नहीं हो पाता। नतीजतन, गर्भधारण न हो पाने की समस्या से जूझना पड़ता है।

पुरुष में शुक्राणुओं की कमी : कई बार महिला के गर्भधारण में आ रही परेशानी का मुख्य कारण पुरुष साथी भी हो सकता है। कारण यह है कि जब पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या में कमी होती है, तो गर्भधारण में समस्या पैदा होती है (5)। इस संबंध के निदान और उपचार के लिए आपको चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

संभोग के बाद बाथरूम जाना : कई महिलाओं को संभोग के तुंरत बाद बाथरूम जाने की आदत होती है। वो अपने प्रजनन अंगों को अच्छी से साफ करती हैं, लेकिन ऐसा करना गलत है। विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं की यह आदत वीर्य को योनी में ठहरने नहीं देती। इस कारण गर्भधारण की प्रक्रिया प्रभावित होती है (6)। इसलिए, सलाह दी जाती है कि शारीरिक संबंध बनाने के बाद कुछ देर तक लेटे रहना चाहिए। ऐसा करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है, लेकिन यहां हम स्पष्ट कर दें कि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है।

टाइट अंडर गारमेंट्स : टाइट अंडर गारमेंट का उपयोग गर्भधारण की प्रक्रिया में बाधा पैदा कर सकता है। जहां पुरुषों में यह आदत शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा को प्रभावित करने का काम करती है (7), वहीं महिलाओं में इस आदत के कारण योनी संक्रमण होने का खतरा रहता है (8)। इन दोनों ही परिस्थितियों में गर्भधारण की प्रक्रिया प्रभावित होती है।

अनिद्रा की समस्या : नींद न आने की समस्या महिला और पुरुष दोनों को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रभावित करती है। महिलाओं में यह समस्या प्रजनन चक्र पर बुरा असर डालती है। इस कारण उनमें तनाव के साथ-साथ अनियमित मासिक चक्र की समस्या भी पैदा होती है, जो गर्भधारण न कर पाने का बड़ा जोखिम कारक है। वहीं, पुरुषों में यह समस्या उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करने का काम करती है। इस कारण वो संक्रमण (बुखार, फ्लू) का आसानी से शिकार हो जाते हैं। ऐसे में उनके शरीर में पैदा होने वाली गर्मी शुक्राणुओं की मात्रा को कम करने का काम कर सकती है (9)। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि महिला और पुरुष दोनों में अनिद्रा की समस्या गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है।

अनियमित वजन : अनियमित वजन भी गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने का काम करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर आपका वजन कम है, तो यह आपकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करेगा। कारण यह है कि कम वजन कुपोषण की ओर इशारा करता है। इस कारण महिला ओव्युलेट नहीं कर पाती। फलस्वरूप गर्भधारण करने में उन्हें मुश्किल होती है। वहीं, इसके उलट अगर महिला का वजन बहुत ज्यादा है, तो भी गर्भधारण की संभावना काफी कम हो जाती है। चाहे आपका ओव्युलेशन चक्र नियमित क्यों न हो (10)।

चिकनाई का अधिक उपयोग : शारीरिक संबंध बनाने के दौरान अधिक चिकनाई का उपयोग भी गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित करने का काम कर सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, बाजार में उपलब्ध चिकनाई वाले पदार्थ जैसे – जेल, तेल व क्रीम शुक्राणुओं की गतिशीलता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। इस कारण निषेचन की प्रक्रिया में रुकावट पैदा होने की संभावना बनी रहती है, लेकिन इस विषय में अभी और शोध की आवश्यकता है (11)।

नशे की लत : धूम्रपान, शराब का सेवन व ड्रग्स लेने की आदत गर्भधारण न कर पाने की बड़ी वजह हो सकती है। माना जाता है कि जहां महिलाओं में यह आदत उनकी प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है, वहीं पुरुषों में इस आदत की वजह से उनके शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा पर असर पड़ता है। इस कारण यह कहा जा सकता है कि नशे की लत महिला और पुरुष दोनों में बांझपन या नपुंसकता के जोखिम कारकों को बढ़ाने का काम करती है (1) (12)।

प्रदूषण : प्रदूषित वातावरण भी गर्भधारण की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न करने का कारण बन सकता है। इस संबंध में किए गए शोध में पाया गया है कि वातावरण को प्रदूषित करने वाले पदार्थ जैसे – विषैले रसायन, कीटनाशक, सिगरेट का धुंआ व प्लास्टिक का प्रयोग आदि प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालते हैं (13)। इस प्रकार, प्रदूषित वातावरण गर्भधारण न कर पाने का एक कारण हो सकता है।

अधिक उम्र : उम्र का ज्यादा होना भी गर्भधारण न कर पाने की एक बड़ी वजह हो सकती है। दरअसल, ऐसा माना जाता है कि 20 से 35 साल की उम्र में महिला गर्भधारण कर पाने में सबसे ज्यादा सक्षम होती है। वहीं, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है प्राकृतिक रूप से उसकी प्रजनन क्षमता घटने लगती है। ऐसे में अगर आपकी उम्र 40 से अधिक है, तो गर्भधारण करने में परेशानी हो सकती है (1)।

ज्यादा व्यायाम : कई महिलाएं अपने शरीर को फिट रखने के लिए व्यायाम करना पसंद करती हैं। बेशक, यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन कहते हैं न कि किसी भी चीज की अति हमेशा बुरी होती है। यह बात व्यायाम पर भी लागू होती है। विशेषज्ञों के मुताबिक, ज्यादा व्यायाम करने वाली महिलाओं में प्रजनन प्रक्रिया अन्य के मुकाबले कम हो सकती है (1)।

स्मार्टफोन रखना : आज के समय में स्मार्टफोन और मोबाइल लोगों के जीवन का एक अहम हिस्सा है, लेकिन ऐसा करना आपके शुक्राणुओं की मात्रा को काफी हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मोबाइल फोन से रेडिएशन निकलता रहता है, जो शुक्राणुओं को नुकसान पहुंचाता है। ऐसे में अगर आपके पति भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो हो सकता है कि आपके गर्भधारण न कर पाने की वजह उनका स्मार्टफोन ही हो (14)।

बिसफिनोल ए (बीपीए) : शरीर में बिसफिनोल ए यानी बीपीए की उपस्थिति भी गर्भधारण न कर पाने का एक कारण हो सकती है। बता दें कि यह एक ऐसा तत्व है, जो खासकर प्लास्टिक पदार्थों में पाया जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं में इस तत्व की अधिक मात्रा उनकी प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालती है। कुछ मामलों में यह तत्व बांझपन का कारण भी बन सकता है (15)।


मेडिकल कारण

सामान्य रूप से साल भर प्रयास करने के बाद भी अगर आपको सफलता हासिल नहीं होती है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें। कारण यह है कि गर्भधारण न कर पाने के कुछ मेडिकल कारण भी हो सकते हैं। यहां हम आपको कुछ जरूरी मेडिकल कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं।

अनियमित मासिक चक्र : जिन महिलाओं को अनियमित मासिक चक्र की समस्या रहती है, उन्हें अनियमित ओव्युलेशन का सामना करना पड़ता है। इस कारण उन्हें गर्भधारण करने में अधिक समस्या होती है। जो महिला जितना कम ओव्युलेट करेगी उसके गर्भवती होने की संभावना उतनी ही कम होगी (16)।

एंडोमेट्रियोसिस : यह महिलाओं से संबंधी एक ऐसा विकार है, जो सीधे तौर पर उनकी प्रजनन क्षमता को बाधित करता है। कारण यह है कि इस समस्या में एंडोमेट्रियल कोशिकाएं (गर्भाशय की कोशिकाएं) गर्भाशय से बाहर की ओर बढ़ने लगती हैं, जो फैलोपियन ट्यूब में रुकावट का कारण बनती है। इस कारण शुक्राणु और महिलाओं के सक्रिय अंडों का मिलन नहीं हो पाता। इस समस्या में महिलाओं को बार-बार पेशाब महसूस होना, संभोग के दौरान दर्द, मल त्याग में परेशानी जैसे लक्षण महसूस होते हैं (17)।

ओव्युलेशन की समस्या : कई महिलाओं में गर्भधारण न कर पाने का कारण ओव्युलेशन की समस्या होती है। माना जाता है कि कुछ खास आदतों, सर्जरी या फिर हार्मोनल समस्या की वजह से महिलाओं में ओव्युलेशन से संबंधित परेशानी पैदा होती है। जो पूर्ण रूप से बांझपन या गर्भधारण करने में मुश्किल का कारण बनती है (18)।

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) : यह विकार महिलाओं में असंतुलित हार्मोन के कारण होता है। इस समस्या के कारण ओव्युलेशन की प्रक्रिया प्रभावित होती है। चूंकि ओव्युलेशन की प्रक्रिया गर्भधारण के लिए अत्यधिक जरूरी होती है। इस कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम गर्भधारण में एक बड़ी बाधा का काम करता है (19)।

फैलोपियन ट्यूब में रुकावट : फैलोपियन ट्यूब में रुकावट गर्भधारण न कर पाने का एक बड़ा कारण होता है। इस स्थिति में निषेचन की प्रक्रिया यानी सक्रीय अंडों का शुक्राणुओं से मिलन नहीं हो पाता। यह समस्या एंडोमेट्रियोसिस, संक्रमण या अनियमित मासिक चक्र के कारण प्रजनन अंग में आने वाली सूजन की वजह से पैदा हो सकती है (16)।

अंडे संबंधी परेशानी : गर्भधारण की प्रक्रिया अंडों की गुणवत्ता पर भी निर्भर करती है। वहीं, महिलाओं में 35 से 40 की उम्र पार करने के बात अंडों की मात्रा और गुणवत्ता कम होने लगती हैं। वहीं, कुछ दैनिक आदतें और खानपान भी इस समस्या के लिए जिम्मेदार है। इस लिहाज से यह माना जा सकता है कि अगर अंडों की गुणवत्ता खराब होती है, तो इस कारण भी आपको मां बनने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है (20)।

प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की कमी : विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं में प्रोजेस्ट्रोन हार्मोन की कमी गर्भधारण की प्रक्रिया को प्रभावित करती है। कारण यह है कि प्रोजेस्ट्रोन ऐसा हार्मोन है, जो महिलाओं में ओव्युलेशन की प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार होता है। वहीं, इसकी कमी महिलाओं में इस प्रक्रिया को धीमा करने का काम करती है। ऐसे में महिला गर्भधारण न कर पाने की जटिलता से झूझती है (21)।

सर्विकल म्यूकस की समस्या : सर्विकल म्यूकस एक चिपचिपा पदार्थ है, जो संभोग के दौरान महिला की योनी में बनता है। गर्भधारण कि प्रक्रिया में यह शुक्राणुओं को अंदर आने में मदद करता है, लेकिन संक्रमण के कारण म्यूकस गाढ़ा हो जाता है। इस कारण यह शुक्राणुओं को आगे बढ़ने से रोकता है और गर्भधारण करने में परेशानी होती है (22)।

शुक्राणु संबंधी समस्याएं : गर्भधारण के लिए पुरुष के शुक्राणुओं की गुणवत्ता और मात्रा का होना भी अनिवार्य होता है। कुछ पुरुषों में शुक्राणु की मात्रा व गुणवत्ता कम होती है। ऐसे पुरुष को नपुंसकता की श्रेणी में गिना जाता है। इसका मुख्य कारण हार्मोन असंतुलन माना जाता है। ऐसी स्थिति में महिला साथी का गर्भधारण करना नामुमकिन होता है (23)।

थायराइड की समस्या : विशेषज्ञों के मुताबिक थायराइड की समस्या के कारण भी महिलाओं को गर्भधारण करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कारण यह है कि थायराइड की समस्या महिला में मासिक चक्र अनियमितता और ओव्युलेशन की प्रक्रिया को प्रभावित करती है, जो बांझपन के जोखिम कारक हैं। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि थायराइड से पीड़ित महिलाओं को गर्भवती होने के लिए अधिक जटिलताओं का सामना करना पड़ता है (24)।

वीर्य नली में रुकावट : वीर्य नली में रुकावट भी गर्भधारण की समस्या का एक बड़ा कारण हो सकती है। दरअसल यह नली पुरुषों के वीर्य में शुक्राणुओं के मिलाने की प्रक्रिया का मुख्य स्रोत है। इसमें रुकावट आ जाने की स्थिति में वीर्य तो निकलता है, लेकिन उनमें शुक्राणु मौजूद नहीं होते। वहीं, गर्भधारण की प्रक्रिया महिला के सक्रीय अंडों और शुक्राणुओं के मिलन से ही पूर्ण होती है, इसलिए गर्भधारण न कर पाने का यह एक बड़ा कारण है। वीर्य नली में रुकावट के कई कारण हो सकते हैं जैसे – गोनोरिया और क्लेमाइडिया (पुरुष जननांग संबधी संक्रमण) या गुप्तांग में किसी प्रकार की अंदरुनी चोट के कारण (25)।


अन्य कारण

अस्पष्टीकृत बांझपन– यह ऐसी समस्या है, जिसमें महिला किसी भी प्रकार की कोई समस्या न होने के बावजूद गर्भधारण करने में असमर्थ रहती है। इस संबंध में की गई जांच में भी किसी पुख्ता समस्या का पता नहीं चला है। कुछ शोध में पाया गया है कि बांझपन की इस अवस्था से पीड़ित लोगों ने विशेषज्ञों के सुझावों के साथ गर्भधारण में सफलता हासिल की है (26)।

संयोजन बांझपन- बांझपन की वह स्थिति जिसमें महिला और पुरुष दोनों बांझपन/नपुंसकता के विकार से ग्रस्त हों। ऐसे में गर्भधारण के लिए इलाज के दौरान दोनों साथियों को जांच की सलाह दी जाती है (27)।

गर्भधारण न कर पाने के सभी कारणों को जानने के बाद हम बात करेंगे इस समस्या के लक्षणों के बारे में।
प्रेग्नेंट न होने की समस्या के लक्षण

प्रेगनेंट न हो पाने की समस्या का एक मात्र लक्षण गर्भधारण करने की क्षमता का न होना है। इसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है कि अगर आपका मासिक चक्र अनियमित (35 दिन से अधिक या 21 दिन से कम) या अनुपस्थित हो, तो इसका मतलब यह है कि आप ओव्युलेट नहीं कर रही हैं। इसे गर्भधारण न कर पाने की समस्या के लक्षण के तौर पर देखा जा सकता है (16)।


प्रेग्नेंट न होने की समस्या का इलाज

गर्भधारण न कर पाने की समस्या का उपचार करने के लिए हम नीचे दिए गए सुझावों को अपना सकते हैं (1)।

अपनी समस्या और स्थिति के बारे में चिकित्सक से परामर्श करें।

संक्रमण संबंधी विकारों का उपचार करवाएं।

डॉक्टर की सलाह से अंडाशय में अंडे की सक्रियता व गुणवत्ता बढ़ाने वाली दवाइयों का उपयोग कर सकते हैं।

सबसे बेहतरीन फर्टाइल दिनों की गणना कर ओव्युलेशन से ठीक पहले और उसके दौरान तीन दिन लगातार गर्भधारण के लिए प्रयास करें।

अगर तमाम तरह के उपचार से भी फायदा नहीं हो रहा है, तो चिकित्सक की सलाह पर अंतर्गर्भाशयी गर्भाधान (Intrauterine insemination) और इन विट्रो निषेचन (In vitro fertilisation) जैसे प्रजनन उपचार का सहारा लिया जा सकता है।

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wordpress 1 year ago 5 Answer
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