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सहायक प्रजनन तकनीक (विनियमन) विधेयक-
टैग्स: सामान्य अध्ययन-IIस्वास्थ्यसरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेपमहिलाओं से संबंधित मुद्दे सहायक प्रजनन तकनीक
सहायक प्रजनन तकनीक का प्रयोग बाँझपन की समस्या के समाधान के लिये किया जाता है। इसमें बाँझपन के ऐसे उपचार शामिल हैं जो महिलाओं के अंडे और पुरुषों के शुक्राणु दोनों का प्रयोग करते हैं।
इसमें महिलाओं के शरीर से अंडे प्राप्त कर भ्रूण बनाने के लिये शुक्राणु के साथ मिलाया जाता है। इसके बाद भ्रूण को दोबारा महिला के शरीर में डाल दिया जाता है।
इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन
महिलाओं एवं बच्चों को शोषण से बचाना।
अनुपूरक स्थिति (Supplementary Status):
इसे सरोगेसी (विनियमन) विधेयक, के पूरक के रूप में पेश किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत में वाणिज्यिक सरोगेसी पर रोक लगाना है।
यह विधेयक ART के लिये सलाहकार निकायों के रूप में कार्य करने हेतु SRB के तहत सरोगेसी बोर्डों को नामित करता है।
चिंताएँ:
पहुँच में भेदभाव
यह विधेयक एक शादीशुदा हेट्रोसेक्सुअल जोड़े और शादी की उम्र से अधिक की एक महिला को ART का उपयोग करने की अनुमति देता है, जबकि एकल पुरुषों, साथ रहने वाले विषमलैंगिक जोड़ों एवं एलजीबीटीक्यू+ (LGBTQ+) व्यक्तियों या जोड़ों को ART का उपयोग करने से रोकता है।
यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और के पुट्टास्वामी मामले के निजता के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करता हुआ प्रतीत होता है।
नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ (2018) मामले में राज्यों को सलाह दी गई कि वे समान लिंग वाले जोड़ों की समान सुरक्षा के लिये सकारात्मक कदम उठाएँ।
SRB के विपरीत ART के तहत विदेशी नागरिकों पर कोई प्रतिबंध नहीं है किंतु यह सभी भारतीय नागरिकों को वंचित करता है जो एक अतार्किक निष्कर्ष है, यह भारतीय संविधान की मूल भावना को प्रतिबिंबित करने में विफल रहा है।
यह विधेयक एक बच्चे (कम-से-कम 3 वर्ष का) वाली विवाहित महिला के अंडा दान करने पर प्रतिबंधित लगाता है। हालाँकि परोपकारी कार्य के रूप में अंडा दान केवल एक बार संभव है यदि महिला ने विवाह के पितृसत्तात्मक संस्थान के लिये अपने कर्तव्यों को पूरा किया हो।
दाताओं के लिये निम्न या कोई सुरक्षा नहीं:
यह विधेयक अंडा दाता को बहुत कम सुरक्षा प्रदान करता है। अंडों का विच्छेदन एक आक्रामक प्रक्रिया है, इसे यदि गलत तरीके से किया जाता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।
इस विधेयक में अंडा दाता की लिखित सहमति को आवश्यक बताया गया है, किंतु प्रक्रिया के पहले या प्रक्रिया के दौरान दाता के परामर्श की आवश्यकता या उसके द्वारा दी गई सहमति वापस लेने का अधिकार नहीं दिया गया है।
एक महिला को वेतन, समय एवं प्रयास को लेकर हुए नुकसान के लिये कोई क्षतिपूर्ति नहीं मिलती है।
शारीरिक सेवाओं के लिये भुगतान करने में नाकाम होना गैर-स्वतंत्र श्रमिक की स्थिति उत्पन्न करता है, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 द्वारा निषिद्ध घोषित किया गया है।
कमीशनिंग दलों को केवल चिकित्सा की जटिलताओं या मृत्यु के लिये उसके नाम पर एक बीमा पॉलिसी प्राप्त करने की आवश्यकता के बारे में बताया गया है जिसमें कोई राशि या समयसीमा निर्दिष्ट नहीं है।
इस विधेयक में प्री-इम्प्लांटेशन जेनेटिक परीक्षण की आवश्यकता बताई गई है और जहाँ भ्रूण पूर्व-विद्यमान, पैतृक, आनुवंशिक रोगों | से ग्रस्त होता है, उसे कमीशनिंग दलों की अनुमति से अनुसंधान के लिये दान किया जा सकता है।
इन विकारों को निर्दिष्ट नहीं किया गया है और यह बिल जोखिम वाले यूजेनिक्स (Eugenics) के एक अभेद्य कार्यक्रम को बढ़ावा देता है।
यूजेनिक्स विशिष्ट वांछनीय वंशानुगत लक्षणों वाले लोगों का चयन करके मानव प्रजातियों में सुधार करने का अभ्यास है।
सूचना का अप्रकटीकरण:
ART से पैदा हुए बच्चों को अपने माता-पिता को जानने का अधिकार नहीं है, जो उनके सर्वोत्तम हितों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
ART और SRB के मध्य असंतुलन:
यद्यपि यह बिल और SRB क्रमशः ARTs एवं सरोगेसी को विनियमित करते हैं, इससे दोनों क्षेत्रों के बीच काफी दुहराव उत्पन्न होता है।
कोर ART प्रक्रियाओं को अपरिभाषित छोड़ दिया जाता है और उनमें से कुछ को एसआरबी में परिभाषित किया जाता है किंतु इस बिल में इसे परिभाषित नहीं किया गया है।
दोनों विधेयकों के तहत एक ही निषेधात्मक व्यवहार के लिये अलग-अलग दंड का प्रावधान किया गया है और कभी-कभी SRB के तहत अधिक दंड का भी प्रावधान है।
इस विधेयक के तहत अपराध, जमानती हैं किंतु SRB के तहत नहीं।
इस विधेयक के तहत रिकॉर्ड को 10 वर्ष तक बनाए रखा जाना चाहिये किंतु SRB के तहत इसकी अवधि 25 वर्ष निर्धारित की गई है।
दुहराव की स्थिति:
दोनों विधेयकों ने पंजीकरण के लिये कई निकायों की स्थापना की जिसके परिणामस्वरूप दुहराव बढ़ेगा और विनियमन की कमी होगी।
युग्मकों की कमी
युग्मकों (Gamete) की कमी होने की संभावना है क्योंकि इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि क्या युग्मकों को अब ज्ञात मित्रों एवं रिश्तेदारों को उपहार में दिया जा सकता है जिसके बारे में पहले अनुमति नहीं थी।
युग्मक एक जीव की प्रजनन कोशिकाएँ हैं। इन्हें सेक्स कोशिकाओं के रूप में भी जाना जाता है। महिला युग्मकों को ओवा (Ova) या अंडा कोशिकाएँ कहा जाता है और पुरुष युग्मकों को शुक्राणु कहा जाता है।
सज़ा में वृद्धि:
इस विधेयक और SRB के तहत 8-12 वर्ष की सज़ा एवं भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
गर्भधारण-पूर्व और प्रसव-पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, खराब प्रवर्तन से पता चलता है कि सज़ा में की गई वृद्धि इसके अनुपालन को सुरक्षित नहीं करती है।
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