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वॉशिंगटन। लगभग सभी देशों में भ्रूण लिंग की जांच प्रतिबंधित है। यानी यदि गर्भवती महिला का अल्ट्रासाउंड करवाकर लिंग पता करना कानूनन अपराध है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इसका तोड़ निकाल लिया है। अमेरिकी वैज्ञानिकों का दावा है कि अब महज ब्लड टेस्ट से यह पता चल सकता है कि गर्भवती के पेट में लड़का है या लड़की।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक एक नई तकनीक इजाद की गई है, जिससे यह कार्य किया जा सकेगा। शोधकर्ताओं के मुताबिक रक्त परीक्षण से गर्भवती के रक्त में पाये जाने वाले बच्चे के डीएनए के कणों से उसके लिंग का पता लगाया जा सकता है। यह टेस्ट 95 से 99 प्रतिशत तक सही पाया गया है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि गर्भवती होने के सात हफ्ते के अंदर बच्चे का कोशिका मुक्त डीएनए मां के रक्त में आ जाता है। जो आगे चलकर बढ़ जाता है। ऐसे में 7 हफ्ते होने के बाद उस डीएनए का परीक्षण कर लिंग पता कर सकते हैं। इसके परिणाम प्रेगनेंसी के 20 सप्ताह के बाद ज्यादा अच्छे दिखाई दे
प्रेगनेंसी के सात हफ्ते पूरे होने से पहले किसी भी प्रकार के ब्लड टेस्ट या यूरीन टेस्ट से इस प्रकार का कोई आंकलन संभव नहीं है। इस टेस्ट के परिणाम व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करते हैं। यही नहीं इस टेस्ट से यह भी पता लगाया जा सकता है कि उसमें कोई अनुवांशिक बीमारी तो नहीं। हालांकि वैज्ञानिकों ने इस बात की चिंता भी जताई है कि यदि यह टेस्ट बाजार में आ गया तो लोग इसका दुरुपयोग भी कर सकते हैं और ऐसे में कन्या भ्रूण हत्याएं बढ़ भी सकती हैं।
अब अगर भारत की बात करें तो ऐसे टेस्ट भारत में आना काफी खतरनाक हो सकता है, क्योंकि यहां पहले ही कन्या भ्रूण हत्या के मामले काफी ज्यादा आते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक के बीच 1.21 करोड़ कन्या भ्रूण हत्याएं की जा चुकी हैं।
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