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गर्भावस्था के कुछ मामलों में ऐसी जटिलताएं आ जाती हैं, जिनकी वजह से गर्भपात कराना जरूरी हो जाता है। यह ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसमें दवाइयों या सर्जरी की मदद से भ्रूण को गर्भ से निकाला जाता है। यह समय किसी भी महिला और उनके परिवार वालों के लिए कठिन होता है। इस दौरान महिलाओं को शारीरिक और मानसिक रूप से खास देखभाल की जरूरत होती है। मॉमजंक्शन के इस लेख में इसी मुद्दे पर बात करेंगे। इस लेख के जरिए हम यह जानने का प्रयास करेंगे कि गर्भपात के बाद महिला को किस प्रकार की देखभाल की जरूरत होती है। साथ ही हमने इस लेख में गर्भपात के बाद महिला में शारीरिक और मानसिक बदलाव से जुड़ी लगभग हर जानकारी देने का प्रयास किया है।
सबसे पहले आपको बताते हैं कि गर्भपात के बाद किन लक्षणों का एहसास होता है।
गर्भपात के बाद इन लक्षणों का अनुभव होना सामान्य है
गर्भपात से गुजरने के बाद महिलाओं को कुछ शारीरिक लक्षणों के अनुभव होते हैं, जो सामान्य है। ये लक्षण कुछ इस प्रकार हो सकते हैं :
शारीरिक लक्षण (1) (2) :
योनी से भारी या हल्का रक्तस्त्राव
पेट में दर्द
मलती
उल्टी
दस्त
गर्मी या ठंड लगना
स्तनों में दर्द
भावनात्मक परिवर्तन
गर्भपात के बाद के लक्षण हर महिला के लिए एक समान नहीं होते। कुछ मामलों में ये सामान्य से अधिक हो सकते हैं। ऐसे में गायनेकोलॉजिस्ट को तुरंत दिखाना जरूरी होता है।
लेख के अगले भाग में जानिए कि गर्भपात के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए।
गर्भपात के बाद पूरी तरह से ठीक होने में कितना समय लगेगा?
गर्भपात से पूरी तरह ठीक होने का समय प्रत्येक महिला की अवस्था पर निर्भर करता है। इसके अलावा, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि गर्भावस्था के किस हफ्ते में गर्भपात किया गया है। गर्भावस्था जितनी लंबी रही होगी, गर्भपात से पूरी तरह उबरने में उतना ज्यादा समय लगेगा (3)। साथ ही शोध में यह भी पाया गया है कि कुछ मामलों में यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि गर्भपात करवाने का कौन-सा माध्यम चुना गया है। दवाइयों की मदद से किए गए गर्भपात में ज्यादा दर्द होता है और ये कम प्रभावशाली होते हैं। वहीं, वैक्यूम की मदद से किए गए गर्भपात अधिक प्रभावशाली होते हैं (4)। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए एक बार डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए।
आगे आप गर्भपात के बाद महिला में आने वाले मानसिक बदलाव के बारे में जानेंगे।
गर्भपात के बाद भावनात्मक रूप से कैसा महसूस होगा?
गर्भपात के बाद महिला में शारीरिक के साथ-साथ भावनात्मक रूप से भी बदलाव आते हैं, जो सामान्य हैं। ये लक्षण कुछ इस प्रकार के हो सकते हैं (5):
दुःख और शोक की अनुभूति।
चिंता होना।
गर्भपात के लिए अपराधबोध महसूस करना।
गर्भपात के बाद ऊपर बताए गए भावनात्मक बदलाव आना सामान्य हैं। इनके अलावा, कुछ मामलों में ये बदलाव महिला के दिमाग पर गहरा असर डाल सकते हैं, जिनके चलते नीचे बताई गई समस्याएं हो सकती हैं (6) :
अवसाद होना।
अगली गर्भावस्था की चिंता।
अधिक खाना या बहुत कम खाने की इच्छा।
आत्मसम्मान की कमी।
बुरे सपने आना।
नोट : किसी भी प्रकार की मानसिक अस्थिरता के बारे में डॉक्टर को बताना और समय पर इलाज करवाना जरूरी है।
लेख के अगले भाग में आप गर्भपात में रक्तस्राव के बारे में जानेंगे।
गर्भपात के बाद ब्लीडिंग कब तक होती है? |
गर्भपात के बाद योनी से रक्तस्राव (ब्लीडिंग) होना सामान्य बात है। यह एक आम लक्षण है और किसी भी प्रकार के अबॉर्शन (मेडिकल या सर्जिकल) के बाद लगभग दो हफ्तों तक ब्लीडिंग होना सामान्य है। सर्जिकल गर्भपात (सर्जरी के माध्यम से हुए) के बाद हल्का रक्तस्राव होता है, जबकि दवाइयों की मदद से हुए एबॉर्शन में लगभग 9 दिन तक रक्तस्त्राव हो सकता है। कुछ दुर्लभ मामलों में यह 45 दिन तक हो सकता है (7)।
क्या गर्भपात के बाद गर्भ की सफाई करवाना जरूरी होती है? इस बारे में लेख के अगले भाग में जानिए।
गर्भपात के बाद गर्भाशय की सफाई
गर्भपात के बाद अधिक रक्तस्त्राव होने पर गर्भाशय की सफाई करने की जरूर पड़ सकती है। इस प्रक्रिया को डाइलेशन और क्यूरेटेज (Dilation and Curettage) या फिर डी & सी कहा जाता है। यह ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें गर्भाशय की अंदरूनी सतह से टिश्यू निकाले जाते हैं। इस प्रक्रिया में गर्भाशय ग्रीवा में चम्मच जैसा टूल डाला जाता है और असामान्य टिश्यू बाहर निकाले जाते हैं। साथ ही इसकी मदद से अंदर हुए किसी भी प्रकार के संक्रमण की जांच भी की जा सकती है (8)।
लेख के अगले भाग में आप गर्भपात के बाद होने वाली माहवारी के बारे में जानेंगे।
गर्भपात के कितने दिन बाद पीरियड आता है?|
मेडिकल गर्भपात के बाद सामान्य माहवारी शुरू होने का कोई निश्चित समय नहीं है। ये चार से आठ हफ्ते के बीच कभी भी शुरू हो सकते हैं (9)। वहीं, अगर गर्भपात सर्जिकल तरीके हुआ है, तो पीरियड्स शुरू होने में चार से छह हफ्ते लग सकते हैं (10)। साथ ही ध्यान रहे कि प्रेगनेंसी की ही तरह सभी की गर्भपात की अवस्था भी एक समान नहीं होती। ऐसे में अगर आठ हफ्ते बाद भी सामान्य रूप से पीरियड्स नहीं आते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से सलाह जरूर करें।
गर्भपात के बाद पति-पत्नी शारीरिक संबंध बनाने को लेकर अक्सर संशय में रहते हैं। आर्टिकल के अगले हिस्से में हम इसी मुद्दे पर बात कर रहे हैं।
गर्भपात के कितने दिन बाद संबंध बनाने चाहिए? |
जैसा कि हम लेख में ऊपर बता चुके हैं कि गर्भपात के बाद रक्तस्राव होना आम बात है। ऐसे में रक्तस्राव के पूरी तरह बंद हो जाने के बाद ही यौन संबंध बनाने की सलाह दी जाती है (7)। गर्भपात के बाद कम से कम एक हफ्ते तक यौन संबंध न बनाने का सुझाव दिया जाता है। साथ ही यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि गर्भपात होने के बाद गर्भनिरोधक के प्रभावशाली माध्यमों का उपयोग किया जाए। साथ ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले एक बार डॉक्टर से इस बारे में चर्चा कर लेना भी उचित विचार होगा (9)।
आगे जानिए कि गर्भपात के कितने दिन बाद गर्भधारण करने के बारे में सोचना चाहिए।
मैं गर्भपात के कितने दिन बाद गर्भधारण की कोशिश कर सकती हूं?
महिला गर्भपात के तुरंत बाद फिर से गर्भवती हो सकती है, लेकिन बेहतर यही होगा कि इस बारे में पहले डॉक्टर की सलाह जरूर ली जाए (9)। एक शोध में पाया गया है कि गर्भपात के तीन महीने या उससे कम समय में दोबारा गर्भधारण करने की कोशिश करने वाली महिलाओं की गर्भावस्था सामान्य गर्भावस्था की तरह ही सुरक्षित होती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि गर्भपात के एक साल या उससे ज्यादा समय के बाद कोशिश करने वाली महिलाओं को गर्भधारण करने में समस्या हो सकती है (11)।
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