एपिड्यूरल इंजेक्शन का उपयोग करता है?pregnancytips.in

Posted on Tue 10th Aug 2021 : 03:42

प्रसव पीड़ा से राहत के लिए एपिड्यूरल: जोखिम, फायदे और साइड इफेक्ट
एपिड्यूरल क्या है?
क्या एपिड्यूरल लेने से डिलीवरी के समय दर्द नहीं होगा?
प्रसव के किस चरण में मुझे एपिड्यूरल लेना चाहिए?
एपिड्यूरल इंजेक्शन किस तरह दिया जाता है?
एपिड्यूरल लेने के क्या फायदे हैं?
एपिड्यूरल लेने के क्या नुकसान और साइड इफेक्ट हैं?
क्या एपिड्यूरल की वजह से डिलीवरी की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है?
क्या एपिड्यूरल का असर मेरे नवजात शिशु पर पड़ेगा?
क्या सभी महिलाएं डिलीवरी के समय एपिड्यूरल ले सकती हैं?
अगर मेरी पीठ पर टैटू है, तो क्या मैं एपिड्यूरल इंजेक्शन लगवा सकूंगी?
क्या एपिड्यूरल की वजह से मुझे लंबे समय तक पीठ दर्द रहेगा?
हमारी प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लें

क्या आप प्रसव पीड़ा को लेकर चिंतित हैं?
श्वसन तकनीक आजमाती महिला अपने पति के साथदर्द निवारक विकल्पों के बारे में जानिए !
एपिड्यूरल आमतौर पर प्रसव के दौरान प्रभावी और दीर्घकालीन दर्द निवारक के तौर पर दिया जाता है। इसमें दर्द निवारक दवाओं को लगातार एक पतली नलिका के जरिये आपकी रीढ़ में दिया जाता है। इससे शरीर के निचले हिस्से में दर्द महसूस नहीं होता और आप पूरी तरह होश में होती हैं।

समय-समय पर आपके रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) की जांच की जाएगी और गर्भस्थ शिशु पर लगातार निगरानी रखी जाएगी। एपिड्यूरल की वजह से प्रसव का जोर लगाने वाला चरण लंबा चल सकता है क्योंकि शरीर के निचले हिस्से में अनुभूति न होने की वजह से जोर लगाना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है।
एपिड्यूरल क्या है?
एपिड्यूरल दर्द से राहत पाने का एक तरीका है और इसका इस्तेमाल अधिकांशत: महिलाओं के द्वारा प्रसव के दौरान किया जाता है।

यह शरीर के निचले हिस्से मे लगातार दर्द निवारक पहुंचाता है, जबकि आपका आप अपने पूरे होश में होती है। यह रीजनल या लोकल एनेस्थीसिया होता है, इसलिए आपका पूरा शरीर इससे प्रभावित नहीं होता। आपके शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाता है, जबकि आप सचेत रहती हैं। यह अनुभूति को कम कर देता है, मगर ऐसा नहीं है कि आपको पूरी तरह कुछ भी अहसास नहीं होगा।

एपिड्यूरल के जरिये जो दवाएं दी जाती हैं, वो आमतौर पर निम्नांकित का मिश्रण होती हैं:

लोकल एनेस्थीसिया (यह दर्द, स्पर्श, हलचल और तापमान की अनुभूति को रोक देता है), और
ओपिओइड दर्द निवारक (यह दर्द को कम कर देता है, मगर आप अपनी टांगों को हिला-डुला सकती हैं)।

एनेस्थीसिया की डॉक्टर (एनेस्थेटिस्ट) एपिड्यूरल लगाती हैं। अधिकांश अस्पताल कम खुराक वाला एपिड्यूरल देते हैं। इससे आपको टांगो और पैरों में कुछ अनुभूति बनी रहनी चाहिए। कम खुराक वाले एपिड्यूरल लेने से आपकी टांगो में इतनी ताकत रहनी चाहिए कि आप बिस्तर में हिल-डुल सके और अपनी अवस्था बदल सकें।

अपनी बैठी या लेटी हुई अवस्था को बदलते रहना अच्छा रहता है। इससे शरीर के सुन्न हुए हिस्से पर दबाव पड़ने की वजह से दर्द नहीं होगा।

एपिड्यूरल लेने के बाद आप बिस्तर से उठकर खड़ा होना या चलना अतिरिक्त स्टाफ की मदद से ही कर पाएंगी। इसे अंग्रेजी में वॉकिंग या एम्बुलेटरी एपिड्यूरल कहा जाता है।
क्या एपिड्यूरल लेने से डिलीवरी के समय दर्द नहीं होगा?
एपिड्यूरल सबसे प्रभावी दर्द निवारक विकल्प है और डिलीवरी के समय महिलाओं को कम दर्द का अहसास हो इसलिए दुनिया भर में प्रसव के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाता है। मगर एपिड्यूरल देने से दर्दरहित प्रसव (पेनलेस डिलीवरी) होने की बात थोड़ी भ्रामक है, क्योंकि एपिड्यूरल लेने के बाद भी आपकी डिलीवरी पूरी तरह से दर्दरहित नहीं होती।

आमतौर पर एपिड्यूरल प्रसव शुरु होने के बाद दिया जाता है, इसलिए आपको शुरुआती संकुचन तो महसूस होंगे ही। एपिड्यूरल का असर दिखने में करीब 40 मिनट का समय लगता है, तो इस दौरान भी आपको संकुचन महसूस होंगे। इसके अलावा, एपिड्यूरल लगाने में भी दर्द और असहजता हो सकती है क्योंकि यह इंजेक्शन आपकी रीढ़ में लगाया जाता है। और अलग एपिड्यूरल उचित ढंग से काम न कर रहा हो और केवल आपके शरीर के निचले हिस्से के कुछ हिस्से को ही सुन्न करे तो डॉक्टर को यह इंजेक्शन दोबारा लगाना पड़ सकता है।

इसलिए, एपिड्यूरल डिलीवरी के दौरान दर्द कम करने में अवश्य मदद करता है, मगर ऐसा नहीं है कि आपकी डिलीवरी पूरी तरह दर्द रहित रहेगी।
प्रसव के किस चरण में मुझे एपिड्यूरल लेना चाहिए?
आमतौर पर आप प्रसव के किसी भी चरण में एपिड्यूरल ले सकती हैं। मगर अधिकांश महिलाएं इसे तब लेती हैं जब उनके संकुचन प्रबल होने लगते हैं, अक्सर तब जब ग्रीवा करीब 5 सें.मी. (2 इंच) या 6 सें. मी. (2.4 इंच) विस्फारित हो चुकी होती है। यह माना जाता है कि प्रसव का सक्रिय चरण शुरु होने से पहले यदि एपिड्यूरल दिया जाए तो इससे सकुंचनों पर असर पड़ सकता है और अधिकांश डॉक्टर आमतौर पर ग्रीवा के 4 सें.मी. (1.5 इंच) तक विस्फारित होने के बाद ही एपिड्यूरल देना चाहती हैं।

जब आप प्रसव के जोर लगाने वाले चरण में पहुंच गई हों तो डॉक्टर प्रसव में इतना आगे आने के बाद शायद एपिड्यूरल न लेने की सलाह दे सकती हैं। मगर यह इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका प्रसव किस तरह आगे बढ़ रहा है।

यदि सिंटोसिनॉन ड्रिप के जरिये आपके प्रसव में तेजी लानी हो, तो भी आपको एपिड्यूरल दिया जा सकता है। सिंटोसिनॉन, आॅक्सीटॉसिन हॉर्मोन का कृत्रिम रूप है, जो आपकी ग्रीवा को विस्फाारित करता है और संकुचनों को अधिक प्रबल और पीड़ादायी बनाता है। सिंटोसिनॉन की वजह से आपको अतिरिक्त दर्द निवारक की जरुरत हो सकती है क्योंकि इससे संकुचनों को सहन कर पाना और मुश्किल हो सकता है।

जब एपिड्यूरल दे दिया जाता है तो शिशु के जन्म के बाद और अपरा की डिलीवरी के बाद भी इसका असर आपके शरीर में बना रह सकता है।

यदि भगछेदन (एपिसियोटमी) की वजह से आपको टांके लगवाने की जरुरत हो तो भी एपिड्यूरल दर्द निवारक के तौर पर काम कर सकता है।

यदि दुर्लभ स्थिति में आपकी अपरा का कुछ हिस्सा गर्भाशय में रह जाए और डॉक्टर को इसे हाथ से निकालना हो तो एपिड्यूरल उस समय भी काम आ सकता है।
एपिड्यूरल इंजेक्शन किस तरह दिया जाता है?
एनेस्थेटिस्ट डॉक्टर इंजेक्शन के जरिये दवा को उन नसों के आसपास डालती हैं जो गर्भाशय और ग्रीवा से दर्द के संकेत मस्तिष्क तक पहुंचाती हैं।

एपिड्यूरल दिए जाने की पूरी प्रकिया यहां क्रमवार तरीके से दी गई है:

इंजेक्शन लगाने की तैयारी
आईवी ड्रिप को आपकी बाजू मे लगाया जाता है, ताकि एपिड्यूरल लेते समय आपको पर्याप्त तरल पदार्थ भी मिलते रहें। आपको घुटने मोड़कर करवट लेकर लेटने के लिए कहा जाएगा या पलंग के किनारे पर बैठकर आगे की ओर झुकने के लिए कहा जाएगा। एनेस्थीसिया वाली डॉक्टर इंजेक्शन लगाने वाली जगह को साफ करेंगी, फिर इसे सुन्न करने के बाद सावधानीपूर्वक सुई को आपकी पीठ के निचले हिस्से में लगाया जाता है। पढ़ने व सुनने में यह काफी दर्दभरा लग सकता है, मगर अधिकांश महिलाओं को इसमें ज्यादा दर्द नहीं होता। यह जरुरी है कि आप एकदम स्थिर रहें और यदि आपको संकुचन हो रहे हों तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दें।

कैथेटर लगाना
इसके बाद एनेस्थेटिस्ट द्वारा एक पतली ट्यूब (एपिड्यूरल कैथेटर) इस सुई के जरिये अंदर घुसाई जाती है। जब कैथेटर सही जगह लग जाता है, तो डॉक्टर सुई को निकाल लेते हैं। ट्यूब के दूसरे छोर को आपकी पीठ पर टेप से चिपका दिया जाता है और आपके कंधे के ऊपर डाल दिया जाता है, ताकि यह हिले-डुले या रास्ते में अड़े नहीं। इस चरण पर आप कैथेटर को हिलाए-डुलाए बिना लेट सकती हैं और जरुरत होने पर इसके जरिये दवा अंदर डाली जा सकती है।

परीक्षण के लिए खुराक, पूरी खुराक और निगरानी
पहले आपको जांच करने के लिए दवा की थोड़ी सी खुराक दी जाएगी, ताकि सुनिश्चित हो सके कि एपिड्यूरल सही जगह लगा है। यदि कोई समस्या न लगे, तो फिर पूरी खुराक दी जाती है। गर्भस्थ शिशु के दिल की धड़कन पर लगातार नजर रखी जाएगी। एपिड्यूरल देने के बाद कुछ समय तक करीब हर पांच मिनट में आपके ब्लड प्रेशर की जांच की जाएगी ताकि पता चल सके कि इसकी वजह से इसमें कोई विशेष बदलाव तो नहीं आ रहा है।

दवा का असर
दवा की पहली खुराक लेने के 10 से 20 मिनट बाद आपको सुन्नता का अहसास होना शुरु होगा, हालांकि आपके गर्भाशय की नसें तो कुछ ही मिनटों में सुन्न होने लगेंगी। पूरे प्रसव के दौरान आपको कैथेटर के जरिये लगातार खुराक दी जाती रहेगी

शिशु के जन्म के बाद
कैथेटर को हटा दिया जाएगा। यदि आपकी सिजेरियन डिलीवरी हुई है, तो कई बार कैथेटर को लगा छोड़ दिया जाता है, ताकि आॅपरेशन के बाद भी दर्द निवारक दवा दी जा सके। कैथेटर हटाए जाने पर आपको दर्द नहीं होगा, इसमें केवल त्वचा पर लगी टेप हटाने जितना दर्द होगा।

आपके अस्पताल में क्या विकल्प उपलब्ध हैं और आप प्रसव के किस चरण में हैं, इसके आधार पर एपिड्यूरल दर्द निवारक निम्न तरीके से दी जा सकती है:

टॉप-अप के साथ इंजेक्शन
एनेस्थेटिस्ट दर्द निवारक दवाओं का मिश्रण इंजेक्शन के जरिये कैथेटर में डालेंगी, ताकि आपके पेट का निचला हिस्सा सुन्न किया जा सके। एपिड्यूरल को लगाने में करीब 10 से 20 मिनट का समय लगता है और इसका असर आने में और 15 से 20 मिनट लगते हैं। हालांकि, अगर एपिड्यूरल को व्यवस्थित करना हो तो इसमें 40 मिनट तक का समय लग सकता है। इसके बाद आपको संकुचनों का दर्द महसूस नहीं होगा।

जब दवाओं का असर कम होने लगे, तो आपकी डॉक्टर और अधिक एनेस्थेटिक दवाएं देंगी, जिनका असर एक से दो घंटों के बीच रहता है।

लगातार डालते रहना (कंटीन्यूअस इनफ्यूजन)
जब एनेस्थेटिस्ट एपिड्यूरल कैथेटर को लगाएंगी, तो वे कैथेटर के दूसरे छोर पर एक पंप जोड़ देंगी। इससे लगातार दर्दनिवारक दवाएं आपकी पीठ में जाती रहेंगी।

अगर जरुरत हो, तो आपको स्थानीय एनेस्थेटिक की और प्रबल खुराक दी जा सकती है। कई बार पंप आपके नियंत्रण में होता है। इसे अंग्रेजी में पेशेंट कंट्रोल्ड एपिड्यूरल एनलजेसिया कहा जाता है, मगर यह केवल कुछ अस्पतालों में ही उपलब्ध है।

संयुक्त स्पाइनल एपिड्यूरल (सीएसई)
इस इंजेक्शन में कम मात्रा वाली दर्द निवारक दवा (मिनि स्पाइनल) होती है और यह केवल एपिड्यूरल की तुलना में जल्दी असर दिखाती है।

एनेस्थेटिस्ट मिनि-स्पाइनल इंजेक्शन को सीधे आपकी रीढ़ के आसपास मौजूद तरल में लगाती हैं, जो कि एपिड्यूरल स्पेस की तुलना में पीठ में ज्यादा गहराई मे जोता है। वहीं, दूसरी तरफ वे एपिड्यूरल स्पेस में एक नलिका (एपिड्यूरल कैथेटर) डालेंगी, जिसका बाद में इस्तेमाल किया जा सके।

जब आप मिनी स्पाइनल इंजेक्शन का असर कम होने लगता है, तो एनेस्थेटिस्ट नलिका के जरिये एपिड्यूरल सोल्यूशन देंगी, ताकि आपको लगातार दर्द से राहत मिलती रहे। इसके बाद वे दर्द निवारक दवा असर कर रही है या नहीं। इसके लिए वे आपके पेट और टांगो पर ठंडा स्प्रे या आइस क्यूब लगाकर देखेंगी कि क्या आप यह महसूस कर पा रही हैं। यदि आपको स्प्रे की ठंडक महसूस हो रही है, तो एनेस्थेटिस्ट एपिड्यूरल को व्यवस्थित करेंगी या दोबारा लगाएंगी।

जब एपिड्यूरल लगाया जा रहा हो, तो निम्नांकित बातों का विशेष ध्यान रखें:

अपनी श्वसन क्रिया पर ध्यान केंद्रित करें, ताकि जब एपिड्यूरल दिया जाए तो आपको स्थिर रहने में मदद मिल सके।
अपनी नाक से अंदर गहरी सांस लें और मुंह से धीरे-धीरे सांस बाहर छोड़ें।
यदि आपके साथ आपके लेबर पार्टनर हों, तो आप उनका हाथ पकड़े रहें और उनके साथ नजरों से नजरें मिलाए रखें।
यदि आपको टांगो में बहुत तेज दर्द या चुभन हो तो तुरंत इस बारे में एनेस्थेटिस्ट को बताएं, मगर कोशिश करें कि आप स्थिर रहें। यह दर्द या चुभन इस बात का संकेत हो सकता है कि एपिड्यूरल सुई या कैथेटर किसी नस के संपर्क में आ गई है और एनेस्थेटिस्ट को सुई को दोबारा लगाना होगा। यदि कोई नस क्षतिग्रस्त हो भी जाती है, तो भी यह क्षति आमतौर पर अस्थाई होती है और कुछ हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाती है। अच्छी बात यह है कि इसमें स्थाई क्षति होना काफी दुर्लभ है।
एपिड्यूरल लगाने के दौरान जब भी आपको संकुचन महसूस हों तो हमेशा एनेस्थेटिस्ट को बताएं, क्योंकि जब दर्द हो तो स्थिर रहना मुश्किल हो सकता है।

एपिड्यूरल लेने के क्या फायदे हैं?

यह प्रसव के दौरान दर्द से राहत का सबसे प्रभावी तरीका है। यह आमतौर पर पूरी तरह दर्द से राहत देता है।
इसका आपके गर्भस्थ शिशु पर कोई प्रभाव नहीं होता।
एपिड्यूरल सही जगह लग जाने के बाद अनुभवी नर्स या डॉक्टर द्वारा आमतौर पर टॉप-अप दिया जा सकता है। इसका मतलब है कि एनेस्टथेटिस्ट का इंतजार करने की जरुरत नहीं होती।
दवा केवल के विशेष क्षेत्र पर असर करती है, इसलिए आप प्रसव और डिलीवरी के दौरान जगी रहेंगी और सचेत होंगी। क्योंकि आपको दर्द नहीं हो रहा होगा, इसलिए जब ग्रीवा विस्फाारित हो रही हो तो आप आराम कर सकती हैं, और यहां तक कि सो भी सकती हैं। इस तरह आप प्रसव के जोर लगाने वाले चरण के लिए ऊर्जा बचाकर रख सकती हैं।
आप सारी स्थिति समझ पा रही होंगी, और प्रसव और डिलीवरी की प्रक्रिया को अनुभव कर पा रही होंगी। हालांकि, आपको अब भी अपने संकुचनों का पता चल रहा होगा।
यदि आपको आपातकालीन सिजेरियन ऑपरेशन की जरुरत हो, तो इसे अधिक प्रभावी लोकल एनेस्थेटिक के साथ टॉप-अप किया जा सकता है। हालांकि, एपिड्यूरल लेने से आपकी सिजेरियन डिलीवरी होने की संभावना नहीं बढ़ती है।

एपिड्यूरल लेने के क्या नुकसान और साइड इफेक्ट हैं?

हो सकता है कुछ महिलाओं में एपिड्यूरल इतना प्रभावी न रहे। ऐसे मामलों में आपको अतिरक्त दर्द निवारक दवाओं की जरुरत होगी। यदि एपिड्यूरल शुरु होने के आधे घंटे के अंदर आपको दर्द महसूस होना बंद नहीं हुआ है, तो डॉक्टर को बताएं। ऐसे में एनेस्थेटिस्ट आकर दोबारा प्रयास कर सकती हैं।
हालांकि, एपिड्यूरल काम शुरु करने पर दर्द से जल्द राहत पहुंचाता है, मगर इसे पूरी तरह प्रभाव में आने में 40 मिनट तक का समय लग सकता है। यह अन्य तरह के अधिकांश दर्द निवारकों मे से ज्यादा समय है।
आपको कंपकंपी महसूस हो सकती है या बुखार भी हो सकता है। यदि बुखार की वजह से आपका शिशु संकट में आ रहा हो, तो डॉक्टर आपको शरीर का तापमान नियंत्रित करने के लिए थोड़ी पैरासिटामोल दे सकती हैं।
आपको थोड़ी खुजलाहट भी महसूस हो सकती है, विशेषतौर यदि आपको संयुक्त स्पाइनल एपिड्यूरल दिया गया हो तो।
कुछ महिलाओं को उनींदापन या सांस धीमी होना महसूस हो सकता है।
आपको बिस्तर में ही रहना होगा क्योंकि आपकी टांगों में शायद कमजोरी या भारीपन रहेगा। चाहे आप बिस्तर पर हिल-डुल पा रही हों, मगर आप चल-फिर नहीं सकेंगी। कुछेक अस्पतालों में ही मोबाइल (वॉकिंग सर एम्बुलेटरी) एपिड्यूरल की सुविधा होती है।
यह आपकी मूत्रत्याग की क्षमता को प्रभावित कर सकता है, इसलिए शिशु के जन्म के बाद आपको मूत्रत्याग के लिए कैथेटर लगाया जा सकता है। जब आपका मूत्राशय पूरी तरह खाली हो जाएगा, तो फिर इसे लगाए रखने की जरुरत नहीं होगी। मगर यदि आपका प्राकृतिक या सिजेरियन प्रसव बहुत मुश्किलों से हुआ है, तो आपको यह कैथेटर ज्यादा लंबे समय तक लगाए रखना पड़ सकता है।
आपको ड्रिप लगाने और अधिक निगरानी की जरुरत होगी। आपके शिशु की दिल की धड़कन पर एपिड्यूरल शुरु होने के बाद 30 मिनट तक लगातार नजर रखी जाएगी। इसके बाद हर अतिरिक्त खुराक देने के बाद भी शिशु की धड़कन पर ध्यान दिया जाएगा। एपिड्यूरल शुरु होने के बाद करीब 15 मिनट तक हर पांच मिनट में आपका ब्लड प्रेशर मापा जाएगा। हर अतिरिक्त खुराक देने के बाद भी आपका ब्लड प्रेशर इसी तरह लिया जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि एपिड्यूरल की वजह से आपका ब्लड प्रेशर घट सकता है।
आपको प्रसव में तेजी लाने के लिए सिंटोसिनॉन ड्रिप की जरुरत पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है। हालांकि, आपकी डॉक्टर यह निर्णय लेंगी कि प्रसव में तेजी के लिए दवा देने से पहले क्या वो प्रसव को ऐसे ही धीरे-धीरे लंबे समय तक बढ़ने देंगी।
आपको बहुत तेज सिरदर्द होने और हल्की संवेदनशीलता होने का भी थोड़ा-बहुत जोखिम रहता है। ऐसा उस स्थिति में संभव है जब एपिड्यूरल की सुई मेरुदंड (स्पाइनल कॉर्ड) के चारों तरफ मौजूद तरल की थैली को पंक्चर कर दे, जिससे की रिसाव होने लगे। ऐसा होने की संभावना एपिड्यूरल लेने वाली 100 में से करीब एक को होती है और कुछ महिलाओ को बहुत तेज सिरदर्द होता है। आमतौर पर इसका उपचार आपकी बाजू से थोड़ा सा खून लेकर आपकी पीठ में इंजेक्शन के जरिये दिया जाता है, ताकि सुई द्वारा किया गया छिद्र बंद हो सके (एपिड्यूरल ब्लड पैच)। यह सूक्ष्म प्रक्रिया शिशु के जन्म के बाद की जाती है।
नस के क्षतिग्रस्त होने का भी थोड़ा-बहुत खतरा रहता है। इससे आपकी टांग या पैर में कोई जगह सुन्न हो सकती है या फिर टांग कमजोर हो सकती है। हालांकि, ऐसा होना अस्थाई तौर पर होना भी बहुत ही दुर्लभ है। स्थाई नुकसान होना तो और भी ज्यादा दुर्लभ है।
जहां एपिड्यूरल लगाया जाता है, उस जगह थोड़ा दर्द व संवेदनशीलता महसूस हो सकती है, मगर आमतौर पर जल्द के कुछ दिनों बाद यह ठीक हो जाता है।

क्या एपिड्यूरल की वजह से डिलीवरी की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है?
एपिड्यूरल लेने पर अक्सर प्रसव के दूसरे चरण (जोर लगाने वाले) की गति थोड़ी धीमी हो जाती है। आपको ग्रीवा पूरी तरह विस्फारित होने के बाद भी शायद जोर लगाने की इच्छा महसूस नहीं होगी। शरीर के निचले हिस्से में संवेदना न होने की वजह से आपको स्वत: जोर लगाने की इच्छा महूसस नहीं होगी, जिससे शिशु को जोर लगाकर बाहर की निकालने में मुश्किल होगी।

यदि आपको जोर लगाने की इच्छा महसूस न हो और यदि अभी तक शिशु का सिर बाहर आने के संकेत न हों, तो आपको कम से कम एक घंटे तक या फिर जब तक जोर लगाने की इच्छा महसूस न हो तब तक इंतजार करने के लिए कहा जाना चाहिए।

पहले, एपिड्यूरल लेने से शिशु का जन्म उपकरणों की सहायता (फोरसेप्स या वैक्यूम डिलीवरी) से होने की संभावना काफी ज्यादा होती थी। हालांकि, आधुनिक कम खुराक वाले एपिड्यूरल और तकनीकां की वजह से अब ऐसा नहीं है।
क्या एपिड्यूरल का असर मेरे नवजात शिशु पर पड़ेगा?
सामान्यत: एपिड्यूरल का असर आपके शिशु पर होने की संभावना बहुत ही कम होती है। हालांकि, एपिड्यूरल लेने से आपका ब्लड प्रेशर घटने की आशंका रहती है, जिसकी वजह से शिशु तक आपके रक्त का प्रवाह प्रभावित हो सकता है। यदि ऐसा हो, तो डॉक्टर आपको दिए जा रहे तरल की मात्रा को बढ़ा देंगी और आपको अवस्था बदलने में मदद करेंगी। इससे आपका ब्लड प्रेशर सामान्य होने में मदद मिलेगी।

एपिड्यूरल देना शुरु करने से पहले एनेस्थेटिस्ट एक छोटी ट्यूब आपके हाथ या बाजू में डालेंगी। यह इसलिए ताकि बाद में आपका ब्लड प्रेशर कम हो तो इसके जरिये तरल और दवाएं दी जा सकें।

एपिड्यूरल की ओपाइड दवा से नवजात शिशु पर कोई असर होने की शायद कोई संभावना नहीं होती। इसकी मानक खुराक करीब 20 एमसीजी है, जो काफी कम है और इससे शिशु को उनींदापन नहीं आ सकता।

हालांकि, ज्यादा मात्रा वाली खुराक (100 माइक्रोग्राम से ज्यादा) से आपकी शिशु की श्वसन क्रिया प्रभावित हो सकती है या वह उनींदा सा हो सकता है।
क्या सभी महिलाएं डिलीवरी के समय एपिड्यूरल ले सकती हैं?
नहीं, कुछ विशेष स्वास्थ्य स्थितियों की वजह से कुछ गर्भवती महिलाओं के लिए यह दर्द निवारक नहीं दिया जा सकता। निम्नांकित स्वास्थ्य स्थितियों में आपको एपिड्यूरल नहीं दिया जाएगा:

आपका ब्लड प्रेशर असामान्य ढंग से कम है (रक्तस्त्राव या अन्य समस्या की वजह से)
आपको रक्तस्त्राव संबंधी विकार है।
आपको रक्त संक्रमण है।
पीठ के निचले हिस्से में जहां सुई घुसाई जाएगी वहां आपको त्वचा का संक्रमण है।
आपको पहले लोकल एनेस्थीसिया से एलर्जी हो चुकी है।

यदि आप खून पतला करने की दवा ले रही हैं, तो शायद आपको एपिड्यूरल दिया जा सकता है, मगर डॉक्टर को इस पर विशेष ध्यान देना होगा।

यदि आपके मन में सवाल या चिंता हो कि एपिड्यूरल सुरक्षित है या नहीं, तो इस बारे में प्रसवपूर्व अप्वाइंटमेंट के दौरान अपनी डॉक्टर से बात करें।
अगर मेरी पीठ पर टैटू है, तो क्या मैं एपिड्यूरल इंजेक्शन लगवा सकूंगी?
यदि आपकी पीठ के निचले हिस्से पर टैटू बना हो तो भी अधिकांश एनेस्थेटिस्ट आपको एपिड्यूरल लगा देंगे। मगर यदि आपने टैटू हाल ही में बनवाया हो और यह अभी भी ताजा हो या इसमें इनफेक्शन के संकेत दिख रहे हों तो शायद एनेस्थेटिस्ट आपको एपिड्यूरल नहीं लगाएंगी।

टैटू के पास एपिड्यूरल लगाने या न लगाने को लेकर स्पष्ट प्रामण नहीं हैं। मगर एनेस्थेटिस्ट आमतौर पर टैटू में से सुई घुसाने से बचते हैं, क्योंकि टैटू की स्याही न्यूरोटॉक्सिक हो सकती है। यदि संभव हुआ तो वे शायद टैटू डिजाइन से थोड़ी दूर सुई लगाने की कोशिश करेंगी। या फिर वे सुई घुसाने से पहले त्वचा को थोड़ा खुरच देंगी ताकि सुई के अदंर टैटू की स्याही लगने या गहराई वाले उत्तकों में रंगत पहुंचने का खतरा कम हो सके।

यदि आपने पीठ के निचले हिस्से में टैटू बनवाया हुआ है और आप डिलीवरी के दौरान दर्द निवारण के लिए एपिड्यूरल लेना चाहती हैं, तो पहले डॉक्टर से बात कर लें। साथ ही भर्ती होने से पहले अस्पताल की नीतियों के बारे में पता कर लें।
क्या एपिड्यूरल की वजह से मुझे लंबे समय तक पीठ दर्द रहेगा?
संभव है कि डिलीवरी के बाद जब एपिड्यूरल का प्रभाव कम होगा तो आपको सुई लगने वाली जगह पर दर्द महसूस हो। यदि डॉक्टर को सही जगह ढूंढ़ने या फिर एपिड्यूरल के प्रभावी ढंग से काम करने के लिए कई बार सुई अंदर घुसानी पड़ी हो, तो यह दर्द और भी ज्यादा हो सकता है।

बहरहाल, अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि एपिड्यूरल की वजह से पीठ दर्द की समस्या दीर्घकाल तक नहीं बनी रहती। यदि डिलीवरी के बाद आपकी पीठ में दर्द है, तो आमतौर पर यह किसी और कारण की वजह से होता है। गर्भावस्था के दौरान जिन शारीरिक बदलावों की वजह से पीठ के निचले हिस्से में दर्द रहता था, उनकी वजह से प्रसव के बाद भी दर्द रह सकता है।

यदि आपका प्रसव लंबा या मुश्किल भरा रहा तो, इसकी वजह से भी आपको पीठ दर्द हो सकता है। प्रसव के दौरान आपने शायद उन मांसपेशियों का इस्तेमाल किया था, जिन्हें सामान्यत: आप इस्तेमाल नहीं करती। इसका असर आपको कुछ समय बाद महसूस होता हे।

साथ ही, बहुत सी नई माँएं शिशु को स्तनपान करवाते समय सही अवस्था न अपनाने की वजह से भी अपनी पीठ दर्द की समस्या को और बढ़ा लेती हैं। उदाहरण के तौर पर जब आप शिशु को स्तनपान करवाना सीख रही होती हैं, तो आपका ध्यान स्तन को सही ढंग से शिशु के मुंह में देने पर रहता है और ऐसे में आप आगे की तरफ झुकने लगती हैं। शिशु को देखने के लिए नीचे की तरफ झुकने से आपकी गर्दन और पीठ की ऊपर की मांसपेशियों में तनाव होता है। यहां जानें की स्तनपान करवाने की बेहतरीन मुद्राएं क्या हैं, जिनसे पीठ में दर्द नहीं होता।

नवजात शिशु की देखभाल में लगे रहने से होने वाली थकान और तनाव की वजह से आपके लिए पीठ दर्द समेत प्रसव के दर्द और पीड़ा से उबर पाना मुश्किल हो सकता है।

पीठ दर्द आमतौर पर डिलीवरी के कुछ महीनों बाद अपने आप ठीक होने लगता है, हालांकि कुछ महिलाओं में यह दर्द थोड़ा और लंबा चलता है। ये दर्द अचानक से खत्म नहीं होता।

प्रसवोत्तर मालिश से आपको पीठ दर्द में आराम मिल सकता है। साथ ही हल्के प्रसवोत्तर व्यायाम भी आपको प्रसव के बाद पीठ की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।

पीठ दर्द को कम करने के लिए प्रसवोत्तर व्यायाम के हमारे वीडियो यहां देखें।
हमारी प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लें
आप प्रसव के दौरान के दर्द निवारक विकल्पों के बारे में कितना जानते हैं? हमारी इस प्रश्नोत्तरी में हिस्सा लेकर जानें।

solved 5
wordpress 2 years ago 5 Answer
--------------------------- ---------------------------
+22

Author -> Poster Name

Short info