एक बच्चा कितने दांत खो देता है?pregnancytips.in

Posted on Fri 11th Nov 2022 : 09:30

इस उम्र में भी न टूटें बच्‍चे के दांत, तो समझ लें बज गई है खतरे की घंटी
बच्चे की ओरल हेल्थ के लिए शुरुआत से ही उसके दूध के दांतों की देखभाल, डेंटिस्ट के पास ले जाना और अच्छी डेंटल हैबिट्स डालना बहुत जरूरी है। बच्चों के दांत मां के गर्भ में ही बनना शुरू हो जाते हैं, और 6 या 7 साल की उम्र तक बच्चे के मसूड़ों से सभी 20 दूध के दांत निकल चुके होते हैं।आमतौर पर, बच्चे लगभग 5 साल की उम्र में अपने सामने के नीचे की पंक्ति से दांत खोना शुरू कर देते हैं और 7 से 8 साल की उम्र तक ज्यादातर दूध के दांत गिर चुके होते हैं और उनकी जगह परमानेंट दांत आ जाते हैं।
बच्चों के दूध के दांत कब टूटते हैं, इस सवाल को लेकर हरेक पैरेंट्स थोड़ी उलझन में रहते हैं। डॉक्टरों के अनुसार, आमतौर पर 6 से 12 साल के बीच बच्चे अलग-अलग समय पर और अलग-अलग कारणों से दांत खो देते हैं। सामान्यत: पहले बच्चे के सामने के नीचे के दो दांत और ऊपर के सामने के दो दांत गिरते हैं।

बच्चे के दूध के दांत तब तक बने रहते हैं, जब तक कि उनकी जगह पर परमानेंट दांत निकलने का सही समय नहीं हो जाता। यदि बच्चे का दांत सड़ने से या किसी दुर्घटना के कारण समय से पहले टूट जाता है, तो उस खाली जगह पर एक के बजाय दो परमानेंट दांत निकल सकते हैं, जिससे वे टेढ़े-मेढ़े हो सकते हैं। कुछ बच्चों को टेढ़े दांत ही निकलते हैं या समय पर दांत नहीं गिरने के कारण उसकी जगह टेढ़े मेढे दांत निकल जाते हैं। इसे डिलेड एक्सफोलिएशन कहा जाता है। यह समस्या आनुवंशिकी अथवा बहुत अधिक एंटीबायोटिक्स लेने के कारण हो सकती है। इसलिए एक पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चे के ओरल हेल्थ के लिए शुरु से ही उसे दांतों की केयर करना और अच्छी डेंटल हैबिट्स सिखाएं और डेंटिस्ट चेकअप के लिए रेगुलर ले जाएं।
​बच्चों के दांत टूटना कब शुरू होते हैं?

ज्यादातर बच्चों के 6 साल की उम्र तक दूध के सभी दांत टूट चुके होते हैं, कभी-कभी स्थायी दांत देर से या धीरे-धीरे आ सकते हैं। इससे परमानेंट दांत के आने तक बच्चे के बेबी दांत एक वर्ष तक और बने रह सकते हैं। सच तो यह है कि इस प्रक्रिया के समय के लिए भी एक निर्धारित सीमा होती है।
​बच्चों के दांतों की देखभाल कितनी जरूरी है?

अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक डेंटिस्ट्री की सलाह है कि बच्चे का पहला डेंटल विजिट बच्चे का पहला दांत निकलने के छह महीने के भीतर या 12 महीने की उम्र तक हो जाना चाहिए। एक बार हेल्दी दांत निकलने के बाद, माता-पिता के लिए यह बहुत जरूरी है कि वे अपने बच्चे को उसके दांतों की इंपोर्टेंस से परिचित करवाएं।
​बच्चे के दांतों की सफाई

बच्चे को दांतों की समुचित सफाई और मसूड़ों की बीमारी से बचने के लिए दिन में कम से कम दो बार फ्लोराइड टूथपेस्ट और ब्रश का उपयोग करने, दिन में एक बार फ्लॉस करने और मीठे खाद्य पदार्थों और सॉफ्ट ड्रिंक्स का लिमिट में सेवन करना बताया जाना चाहिए। डेंटिस्‍ट के पास जल्दी जाने से भविष्य में दंत संबंधी समस्याओं से बचने में मदद मिलेगी। बढ़ते उम्र के आसपास बच्चे के दांत खोना एक सामान्य प्रक्रिया है।

आमतौर पर, एक बच्चा लगभग 6 साल की उम्र में अपना पहला दांत खो देता है। लेकिन यदि आपका बच्चा 3 या 4 वर्ष की उम्र से पहले अपना पहला दांत खो देता है, तो यह चिंता का कारण है। यह दांतों की सड़न या कैविटी के कारण हो सकता है, इसलिए शुरू से ही बच्चों को डेंटिस्ट से चेकअप करवाना बेहतर होता है।
​यदि बच्चे का दांत समय पर नहीं गिरता है?

एक पैरेंट्स के रूप में, जब हमारे बच्चे के स्थायी दांत समय पर नहीं निकलते हैं, तो यह हमारे लिए चिंता का कारण बन सकता है। यह आमतौर पर पहली दाढ़ के साथ होता है, लेकिन यह अन्य दांतों को भी प्रभावित कर सकता है। जब ऐसा होता है, तो यह अक्सर स्थायी दांत के लिए जगह की कमी के कारण होता है। वास्तव में, जब मसूड़ों में बहुत ज्यादा खाली जगह होती है, तो दांतों के गलत तरीके से विकसित होने का भी खतरा होता है।

समय पर परमानेंट दांत न निकलने का एक और कारण यह भी है कि जबड़े में इसके लिए पर्याप्त जगह नहीं होती है।
​बच्चे के दांत टूटने के बाद क्या करें?

बच्चों में दांतों का निकलना, बढ़ना और गिरना एक जटिल प्रक्रिया है। बच्चों के हेल्थ और दांतों की स्थिति के बारे में, पैरेंट्स को बारीकी से निगरानी करनी चाहिए, जब तक कि उसका आखिरी दांत न गिर जाए। दांत गिरने के बाद मसूड़ों से खून निकलता है। इसलिए बच्चे के मुंह को गुनगुने पानी से धोएं अथवा किसी नम कपड़े से पोछना चाहिए।

ध्यान रखें कि ब्लीडिंग एक घंटे के भीतर बंद हो जानी चाहिए। शुरुआत में बच्चों को थोड़ी परेशानी होती है, लेकिन पहली जोड़ी खोने के बाद उन्हें इसकी आदत हो जाएगी। टूथ फेयरी के लिए दांत बचाना कई पैरेंट्स के लिए बच्चों को दांतों के नुकसान को समझने और उससे निपटने में मदद करने का एक मजेदार तरीका है।

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